फूल खिले हैं, लिखा हुआ है 'तोड़ो मत'
और मचल कर जी कहता है 'छोड़ो मत'
रुत मतवाली, चांद नशीला, रात जवान
घर की आमद ख़र्च यहां तो जोड़ो मत
अब्र झुका है चांद के गोरे मुखड़े पर
छोडो लाज, लगो दिल से, मुँह मोड़ो मत
दिल को पत्थर कर देने वाली यादो
अब अपना सर इस पत्थर से फ़ोड़ो मत
मत अमीक की आंखों से दिल में झाँको
इस गहरे सागर से नाता जोड़ो मत
(अमीक़ हनफी)
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