मैं भारतीय सैनिक आजकल कश्मीर में पदस्थ हूँ |
हथगोलों गोलियूं वा गालियूं का अभ्यस्त हूँ||
मेरे घर में भी हैं पत्नी और बच्चे|
वे सब हैं आप जैसे मासूम और सच्चे||
वे रोज़ मेरी कुशलता की कामना करते हैं|
रोज़ एक अनचाहे दर्द का सामना करते हैं||
मुझ पे रोज़ हथगोले बरसाए जाते हैं|
आतंकवादी भीड़ में कहीं खो जाते हैं||
मेरी हत्या मानवअधिकारों का उल्लंघन नही होती|
मेरे शव पर कोई आँख भी नही रोती||
मेरी मृत्यु पत्रकारों के लिए मसाला नही होती|
शायद इसीलिए कोई कलाम हम पे नहीं रोती||
यदि ये हाथ किसी नागरिक तक पहुँच जाते हैं|
तो हम अपने आप को सुर्ख़ियो में पाते हैं||
क्यूँ उनका जीवन अनमोल और हमारा बेमोल है!
इंसानियत के नाम पे ये कैसा तोल है..??
सेकुलर शैतानों की यह देश अब बपौती है।
ReplyDeleteशहीदों पर नहीं उनकी आँख गद्दारों पर रोती है....
ऐसा नहीं है कि शहीदों और सैनिकों के लिए आंखों में आंसू नहीं आते। शहीदों के लिए आंखे नम होती है तो सैनिकों के लिए फख्र से सिर ऊंचा करते है। बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है
ReplyDeleteदुखद - सच्ची व्यथा - देश चलानेवालों को शर्म आनी चाहिए. हमें देश के उन सपूतों पर गर्व है.
ReplyDeleteकविता अच्छी लगी धन्यवाद्|
ReplyDeleteSunder abhvyakti ke liye aapka hardik aabhar.
ReplyDeletedr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
बेहद दु:खद स्थिति ,लेकिन
ReplyDeleteआम आदमी हमेशा आप के साथ है वो आप का दुख समझता है ,हम भी आप की तकलीफ़ों से दुखी हो जाते हैं हम आप को नमन करते हैं
तुझे नमन जांबाज़ जवान
है कृतज्ञ ये हिन्दुस्तान
हमारी आँखेँ भी रोती हैँ आपके लिए, हमारे दिल भी दुःखी होते हैँ आपके लिए.......क्योँकि आप हमारे अपने है। आपने अपनी दिल की बात को दिल से लिखा हैँ। शुभकामनायेँ! -: VISIT MY BLOG :- तुम ऐसे मेँ क्यूँ रुठ जाती हो?......इस कविता पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए आप आमंत्रित है आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
स्वागतम. सैनिक . अगर पढ़े तो ही टिपण्णी दे . अन्यथा नहीं .
ReplyDeleteस्वागतम,ब्लागजगत पर
ReplyDeleteइस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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