यह सोच कर मैं रुका था कि आसमाँ है यहां
ज़मीन भी पांव के नीचे, सो अब धुवाँ है यहां
न कोई ख्वाब न ख्वाहिश, न गम न खुशी
वो बे-हिसी है की हर शख्स राएगां है यहां
[be-hisi=indifference, insensitivity]
[raaigaaN=vain, useless]
यहां किसी को कोई वास्ता किसी से नहीं
किसी के बारे में कुछ सोचना ज़ियाँ है यहां
[ziyaaN=loss]
उठाये फिरते हैं दीवार-ए-गिरया पुश्त पे लोग
नफ्स नफ्स में अजब महशर-ए-फुगां है यहां
[diivar-e-giryaa=metaphorik like Jews' wailing wall]
[pusht=back] [fuGhaaN=cry of pain, lament]
अब्दुल्लाह कमाल
wah
ReplyDelete