जो लहरों से आगे नज़र देख पाती तो, तुम जान लेते की मैं क्या सोचता हूँ.....
वो आवाज़ तुमको भी भेद जाती तो तुम जान जाते मैं क्या सोचता हूँ.....
जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता तो खिडकियों से आगे भी तुम देख पाते ....
आँखों से आदतों की जो पलकें हटाते तो तुम जान लेते की मैं क्या सोचता हूँ.....
मेरी तरह खुद पर होता जरा भरोसा तो कुछ दूर तुम भी साथ चले आते
रंग मेरी आँखों का बाँटते ज़रा तो कुछ दूर तुम भी साथ चले आते....
नशा आसमान का भी जो चूमता तुम्हे भी...हसरतें तुम्हारी नया जनम पाती ....
खुद दुसरे जनम में मेरी उड़ान छूने कुछ दूर तुम भी साथ आते.........
आप सभी का स्वागत है ! हिंदी इस दुनिया की सबसे खूबसूरत भाषा है और इसी भाषा के कुछ अंश मात्र मैं यंहा प्रस्तुत कर रहा हूँ.
Sunday, December 26, 2010
जूते कहाँ उतारे थे !!!
छोटी छोटी छितराई यादें बिछी हुई हैं लम्हों की लावन पर
नंगे पैर उनपर चलते चलते इतनी दूर चले आये
हैं के अब भूल गए हैं –
जूते कहाँ उतारे थे .
एडी कोमल थी , जब आये थे .
थोड़ी सी नाज़ुक है अभी भी
और नाज़ुक ही रहेगी
इन खट्टी -मीठी यादों की शरारत
जब तक इन्हें गुदगुदाती रहे....
सच, भूल गए हैं
की जूते कहाँ उतारे थे....
पर लगता है,
अब उनकी ज़रुरत नहीं.".......
नंगे पैर उनपर चलते चलते इतनी दूर चले आये
हैं के अब भूल गए हैं –
जूते कहाँ उतारे थे .
एडी कोमल थी , जब आये थे .
थोड़ी सी नाज़ुक है अभी भी
और नाज़ुक ही रहेगी
इन खट्टी -मीठी यादों की शरारत
जब तक इन्हें गुदगुदाती रहे....
सच, भूल गए हैं
की जूते कहाँ उतारे थे....
पर लगता है,
अब उनकी ज़रुरत नहीं.".......
Tuesday, December 21, 2010
गर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं !!
गर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे, उनके लिए "कौन"
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,,,,
"अगर रख सको तो निशानी, खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं"...
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे, उनके लिए "कौन"
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,,,,
"अगर रख सको तो निशानी, खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं"...
Subscribe to:
Posts (Atom)