Sunday, December 26, 2010

जो लहरों से आगे नज़र देख पाती तो..... उड़ान

जो लहरों से आगे नज़र देख पाती तो, तुम जान लेते की मैं क्या सोचता हूँ.....
वो आवाज़ तुमको भी भेद जाती तो तुम जान जाते मैं क्या सोचता हूँ.....
जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता तो खिडकियों से आगे भी तुम देख पाते ....
आँखों से आदतों की जो पलकें हटाते तो तुम जान लेते की मैं क्या सोचता हूँ.....

मेरी तरह खुद पर होता जरा भरोसा तो कुछ दूर तुम भी साथ चले आते
रंग मेरी आँखों का बाँटते ज़रा तो कुछ दूर तुम भी साथ चले आते....
नशा आसमान का भी जो चूमता तुम्हे भी...हसरतें तुम्हारी नया जनम पाती ....
खुद दुसरे जनम में मेरी उड़ान छूने कुछ दूर तुम भी साथ आते.........

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