Wednesday, January 5, 2011

इन आंखों से दिन रात बरसात होगी

इन आंखों से दिन रात बरसात होगी
अगर जिंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात होगी

मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पायें
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

चिरागों को आंखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

अज़ल-ता-अब्द तक सफर ही सफर है
कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी

बशीर बद्र

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