Wednesday, January 5, 2011

हम तुझसे किस हवस की फलक जुस्तुजू करें

हम तुझसे किस हवस की फलक जुस्तुजू करें
दिल ही नहीं रहा है जो कुछ आरजू करें

तर-दामनी* पे शेख हमारी ना जाईयो
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वजू* करें

सर ता क़दम जुबां हैं जूँ शमा गो कि हम
पर ये कहाँ मजाल जो कुछ गुफ्तगू करें

है अपनी ये सलाह कि सब जाहिदान-ऐ-शहर
ऐ दर्द आ के बैत-ओ-सुबू करें

मिट जाएँ एक आन् में कसरत नुमाईयां
हम आईने के सामने आके जब हू करें

[तर-दामनी/tar-daamanii=गुनाह, guilt, sinfulness, immoral] [wazu=ablutions]

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