Wednesday, January 5, 2011

बे-सबब दामन भिगोना आ गया

बे-सबब दामन भिगोना आ गया
बात करते करते रोना आ गया

खेलता रहता है मेरी दिल से वो
हाथ में उसके खिलौना आ गया

बैठे बैठे उठ के चल देते हैं हम
इश्क़ में बेताब होना आ गया

दर-ब-दर होने का यह इनाम है
हर किसी के दर पे सोना आ गया

उसको पाना था मगर पाया नहीं
ये हुआ कि खुद को खोना आ गया

आंसुओं में ढल गया दिल का लहू
इस लहू से मुँह धोना भी आ गया

जब छुआ उसका बदन तो यूं लगा
हाथ में मिट्टी के सोना आ गया

चांद सा चेहरा, सितारे बाल में
रात को मोती पिरोना आ गया

लहलहा उठी हैं फसलें शेर की
अश्क तुम को बीज बोना आ गया

इब्राहीम अश्क

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