Wednesday, January 5, 2011

दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जायेगा

दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जायेगा
सीने में दाग है, मिटाया न जायेगा

तुमको हज़ार शर्म सही, मुझको लाख ज़ब्त
उल्फत वो राज़ है जो छुपाया न जायेगा

मकसूद अपना कुछ न खुला लेकिन इस कदर
यानी वो ढूँढ़ते हैं कि पाया न जायेगा

बिगडें न बात बात पे क्यूँ जानते हैं वो
हम वो नहीं कि हमको मनाया न जायेगा

अल्ताफ हुसैन हाली

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