Wednesday, January 5, 2011

शबाब आया किसी बुत पे फ़िदा होने का वक़्त आया

शबाब आया किसी बुत पे फ़िदा होने का वक़्त आया
मेरी दुनिया में बंदे के ख़ुदा होने का वक़्त आया

उन्हें देखा तो ज़ाहिद ने कहा ईमां की यह है
कि अब इंसान को सजदा रवा होने का वक़्त आया

तकल्लुम की ख़मोशी कह रही है हर्फ़-ए-मतलब से
कि अश्क-आमेज़ नज़रों से अदा होने का वक़्त आया

ख़ुदा जाने यह है ओज-ए-यक़ीं या पस्ती-ए-हिम्म्त
ख़ुदा से कह रहा हूं ना-ख़ुदा होने का वक़्त आया

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ य'अनी
हमारे दोस्तों के बे-वफ़ा होने का वक़्त आया

(पंडित हरि चंद अख़्तर)

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