Wednesday, January 5, 2011

यह सोच कर मैं रुका था कि आसमाँ है यहां

यह सोच कर मैं रुका था कि आसमाँ है यहां
ज़मीन भी पांव के नीचे, सो अब धुवाँ है यहां

न कोई ख्वाब न ख्वाहिश, न गम न खुशी
वो बे-हिसी है की हर शख्स राएगां है यहां
[be-hisi=indifference, insensitivity]
[raaigaaN=vain, useless]

यहां किसी को कोई वास्ता किसी से नहीं
किसी के बारे में कुछ सोचना ज़ियाँ है यहां
[ziyaaN=loss]

उठाये फिरते हैं दीवार-ए-गिरया पुश्त पे लोग
नफ्स नफ्स में अजब महशर-ए-फुगां है यहां
[diivar-e-giryaa=metaphorik like Jews' wailing wall]
[pusht=back] [fuGhaaN=cry of pain, lament]

अब्दुल्लाह कमाल

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